किथे मिल जाये नन्द दा दुलारा,
की पत्ता पत्ता शान मारियाँ,
किथे मिल जाये गाऊआ वाला,
की पत्ता पत्ता शान मारियाँ,
जींद जान किती नन्दलाल दे हवाले मैं,
दूध दे भुलेखे पी गई ज़हर दे प्याले मैं,
वे अपने रूप दा ला गया लिशकारा,
के पता पता शान मरिया....
बड़ा ही कठोर नि सितावे जन जानके,
दे गया दिलासा मेनू सपने च आन के,
नाले मिलन दा ला गया लारा,
के पता पता शान मरिया....
सुबह शाम श्याम श्याम गान मेरे घुंगरू,
रूठे हुए श्याम नु मनान मेरे घुंगरू,
ओहदे चरना तो तन मन वारा,
के पता पता शान मरिया....
ब्रिज दे वासियां न तोड़ आसा मेरिया,
पेहडे बड़े लम्बे ने ते राता ने हनेरियां,
असा देखना है मुखड़ा प्यारा,
के पता पता शान मरिया....