दास खड़ा सब द्वार पे, बोले निज की बात।
चरण कमल को आसरों, थे दीजो मेरी मात।।
तिरुमलगिरी के माय ने, बन्यो आपको धाम।
आदि शक्ति जग में बड़ी, नागोवाली नाम।
श्रावण, शुक्ला, पंचमी उत्सव भारी होये।
मैया के दरबार से खाली, जाए ना कोई।।
नारायण स्वामी गोद में, अमृत थारै हाथ।
भक्त भी थारो सेवक्यो, अम्मा जी के साथ।
पूजा थारी मैं करु, निज की सुबह और शाम।
नारायण को मंत्र हैं, ॐ शक्ति ॐ नाम।
पद, पंकज की रज सदा, मांग रह्यो है दास।
दर्शन म्हाने दे द्यो, पूरी कर दो आस।।
मैया थारे हाथ में, मेरी जीवन डोर।
साँची कहु मैं आपसे, दुजा ना मेरो ओर।।
धरा को भार हैं, माथे पर, ओर ऊपर आकाश।
भक्त शरण में आ गयो, बना ल्यो माँ दास।
भूल, चूंक सब माफ करो, भक्ति द्यो भरपुर।
पापों से रक्षा करो, विघ्न करो सब दूर।।
प्रदीप शर्मा।।।
सरिया, गिरिडीह
झारखण्ड।।
8340519841