सिर पे रुमाला रेहमत वाला,
चड़ा फकीरी रंग इक संत शिर्डी में आये जिनका निराला ढंग,
बाबा मस्त मलंग साईं मस्त मलंग,
मोह माया सब भूल गये उस मालिक की मस्ती में,
सबकी भलाई करते ढोले ये शिर्डी की बस्ती में.
छोटे बड़े का भेद न रखे ये तो सबके संग,
साईं मस्त मलंग साईं मस्त मलंग,
नीम के निचे बेठा खोया रहता रब की यादो में,
दुनिया तो आराम करे ये करे इबातत रातो में,
देख के हस्ती साईं जी की दुनिया हो गई धंग,
साईं मस्त मलंग साईं मस्त मलंग,
द्वारका माई में रहते साईं लगा विशोना धरती पे,
बना ईट का सरहना अभिमान न अपनी हस्ती पे,
सच्चा फकीरी का ये रंग है दुनिया है बेढंग,
साईं मस्त मलंग साईं मस्त मलंग,
साईं जैसा महासंत हुआ नही है भारत में,
जो भी इनके दर पे जाए होता भला हर हालत में,
साईं नाम का तू भी करले हमसर के सतसंग,
साईं मस्त मलंग साईं मस्त मलंग,