साई के दरबार में अज़ब चमत्कार हमने देखा है यार,
देते किसी ने न देखा झोली भरी देखि आज,
कोई मांगे शोहरत कोई मांगे दौलत,
करदे हा मुरदे पूरी देके मुहोबत,
खाली करते है साई व्यपार,
उनका साँचा दरबार,
देते किसी ने न देखा झोली भरी देखि आज,
भेद भावना ना जाने रहते सब के साथ में,
भाव के है भूखे साई दान लेते हाथ में,
करते है भगतो के संग प्रेम व्यहार
उनका साँचा दरबार,
देते किसी ने न देखा झोली भरी देखि आज,