श्याम तेरे मंदिर में जब भजता नगाड़ा है,
होती सुनाई उसकी जो किस्मत का मारा है,
नो रंग शाह के लिए उसकी बेगम ने अर्जी करि,
नगाड़ा चड्या तो मिला उसे जीवन दोबारा है,
श्याम तेरे मंदिर में जब भजता नगाड़ा है,
आलू सिंह में ये पूरा जोश ही भर देता,
वो तो मस्ती में ही आ जाते हमने देखा नजारा है,
श्याम तेरे मंदिर में जब भजता नगाड़ा है,
आ कर के फरयादी जब नगाड़े पे चोट करे,
पूजते हो तुम उस से क्या दुखड़ा तुम्हरा है,
श्याम तेरे मंदिर में जब भजता नगाड़ा है,
तेरे इस नगाड़े को ये बिन्नू नमन करता,
कीर्तन में जब बजता हमे लगता ये प्यारा है,
श्याम तेरे मंदिर में जब भजता नगाड़ा है,