मेरे मोहन बाबा आजा कुटिया में गरीब की
तू खोल दे आकर कुंडी मेरे नसीब की
तेरे दर पे चलते चलते मैं हार गयी देखो
इतने दुखो की कठिन परीक्षा मार गयी देखो
कही दवा मिलै ना बाबा तेरे मरीज की
भादोव के महीने में बाबा तेरा मेला भारी है
दर्शन को जाते बाबा लाखो नर नारी है
तुम सुनलो विनती बाबा मुझ बदनसीब की
तुम हो बड़े महान बाबा सबके हितकारी
टुकड़े उसी के टूर करते जो हो भिखारी
सहदेव शर्मा ने देखि है कृपा अजीब सी