मोहे प्रेम का रोग लगाये गयो री वो कान्हा बंसी वालो,
वो कान्हा बंसी वालो वो कान्हा कालो कालो
मोहे प्रेम का रोग लगाये गयो री वो कान्हा बंसी वालो,
रंग जो गम सब मेरे बुला के मेरी नजर से नजर को मिला के
नैनं को तीर चलाए गयो री वो कान्हा बंसी वालो,
सुगर सलोनी मोहनी मूरत बन गई है अब मेरी जरूत,
मेरे दिल के बीच समाये गयो री वो कान्हा बंसी वालो,
ज्योति तिवाड़ी हुयी बलिहारी बात हकीकत कहे अनाडी
मस्ती को रंग चड़ाये गयो री वो कान्हा बंसी वालो,