नेहा जब से लगाया है साई राम से,
ज़िंदगी कट रही है बड़े आराम से,
इस ज़माने में पहचान मेरी न थी,
बेवजह कट रही थी मेरी ज़िंदगी,
मंजिले मिल गई मुझे इस धाम से,
ज़िंदगी कट रही है बड़े आराम से,
क्या है नेकी बदी कुछ पता न चला बस चला जा रहा मेरा काफिला,
जुड़ गया करवा अब तेरे नाम से,
ज़िंदगी कट रही है बड़े आराम से,
जितना जो कुछ मिला सब तुम ही ने दिया किस मुख से किया तेरा शुकरियाँ,
नाम पहले तेरा मेरे हर काम से,
ज़िंदगी कट रही है बड़े आराम से,