जय साईं की बोल रे भगता

जय साईं की बोल रे भगता सत कर्मो पे चलना सिखाया
भटके हुए को राह दिखाया
मांगो तुम भी झोली फैला के वो देगा भंडारे खोल
जय साईं की बोल रे भगता

लेकर रूप फकीरी का साईं जोगी आया शिर्डी में
सब का मालिक एक बता कर डूबा वो खुद की मस्ती में
शिर्डी नगर में धूम मची है बज रहे ताशे ढोल
जय साईं की बोल रे भगता

नगरी नगरी द्वारे द्वारे बिक्षा मांगे भगतो से
जाती धर्म का भेद नही वो बंधा है वो प्रेम के रिश्तो से
राम भी वो अल्लहा भी वो है काहे रहा है मनवा टोल
जय साईं की बोल रे भगता

शिर्डी में खुशियों की देखो साईं घटा निराली है
जिस पे आई जो भी मुश्किल सब की विपता टाली है
साईं महिमा गाते गाते कर जीवन अन्मोल
जय साईं की बोल रे भगता
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