तेरे पूजन को साई राम बना इक मंदिर आलिशान,
तू ही तन में तू ही मन में तू ही नव में तू ही वन में,
कण कण में है तेरा धाम,बना इक मंदिर आलिशान,
तेरे पूजन को साई राम.......
तू ही कुल में तू ही फल में तू ही अगन में तू ही जल में,
तेरा रूप अनूप महान बना इक मंदिर आलीशान ,
तेरे पूजन को साई राम..........
तू ही दीपक तू ही बाती तू ही बंधू तू ही मेरा साथी,
कोई नहीं है तेरे समान बना इक मंदिर आलिशान,
तेरे पूजन को साई राम........
झूठु दुनिया झूठी काया आणि जानी सारी माया,
अंत समय न आये गा बना इक मंदिर आलीशान ,
तेरे पूजन को साई राम..........
साई से तू नेह लगा ले धर्म ज्ञान की पूंजी कमा ले,
होगा तभी तेरा कल्याण बना इक मंदिर आलीशान ,
तेरे पूजन को साई राम..........