चलो मन जाए घर अपने
इस परदेस में..ओ परदेस में ..
क्यूँ परदेसी रहे.. हे...
चलो मन जाए घर अपने ..
आँख जो भाये वो कोरा सपना
सारे पराये है, कोई ना अपना
ऐसे झूठे प्रेम में पड़ ना ..
भूल में काहे जिए..हे..
चलो मन जाए घर अपने
सच्चे प्रेम की ज्योत जला के
मन सुन मेरी कान लगा के
पाप और पुण्य की गठरी उठा के
अपनी राह चल ...हे...
चलो मन जाए घर अपने
चलो मन जाए घर अपने
इस परदेस में..ओ परदेस में ..
क्यूँ परदेसी रहे.. हे...
चलो मन जाए घर अपने ..