योगी बेश धर के नंदी पे चढ़ के

योगी बेश धर के नंदी पे चढ़ के,
गोरा को विहाने भोले नाथ आ गये है,
देख देख दुहला और बराती राजा हिमाचल में न गबरा रहे है,
योगी बेश धर के नंदी पे चढ़ के,

देख कर के दूल्हा सखियाँ गबरा गई है,
दौड़ी दौड़ी गोरा के पास आ गई है,
बोली सखियाँ जा कर दूल्हा सो वर्ष का,
मुँह से बाहर उसके दांत आ रहे है,
योगी बेश धर के नंदी पे चढ़ के,

माथे पे चंदा जटा में है गंगा,
बसम रामये भोला मस्त मलंगा,
भूत प्रेत सारे ढोलक भजाये,
शुक्र शनिशर नाच गा रहे है,
योगी बेश धर के नंदी पे चढ़ के,

हाथ जोड़ कर के भोली गोरा प्यारी,
रूप दिखाओ असली भोले भंडारी,
सत्ररा  वश के बने भोले बाबा,
लोहियां कहे ये मेरे मन भा गये है,
योगी बेश धर के नंदी पे चढ़ के,
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