सीना चीर के बोले हनुमान जी

सीना चीर के बोले, हनुमान जी,
मेरे ह्रदय, विराजे श्री राम जी ,

जिसके ह्रदय, राम वसे हैं, "वोह यह कभी न चूके,
पत्थर की, मानव है बंदे, "जिनके चरण को छूह के,
*बस नाम ले के, करूँ बड़े काम जी ,
मेरे ह्रदय, विराजे श्री राम जी ,
सीना चीर के बोले,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

जो बगिया ले, नाम हरि का, "बोए कभी न सूखे ,
कोयलिया मल, आए गाए, "संग सभी की कूहके" ,
*वोह ही स्वामी, मेरे भी हैं प्राण जी ,
मेरे ह्रदय, विराजे श्री राम जी ,
सीना चीर के बोले,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

भक्ति रंग में, रंग गई छवरी, "बेर खिलाए जूठे",
ज्यों ज्यों कम, होती जाए बेरियाँ, "संकट कटते ऊह के" ,
*है जाँच करत, परिणाम जी ,
मेरे ह्रदय, विराजे श्री राम जी ,
सीना चीर के बोले,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
अपलोडर- अनिलरामूर्तिभोपाल
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