सावरिया के ठाठ निराले ऊचे ऊचे खटके,
कही गीता ज्ञान बांटता कही फोड़ता मटके,
वारी वारी जाऊँ बलिहारी जाऊँ कृष्णा,
कही पे चीर बढ़ाये तू,
कही पे चीर चुराये तू,
कही कभी चोरी कही भात है भराये तू ,
खीचड़ खाया करमा का धोया चरण सुदामा का,
गोपियों के पीछे भागा लेके पिचकारी तू,
रानी रुक्मणि को हर लाया वर लाया,
ले आया कृष्णा चोरी से भगा के तू,
देखा देखा रात में देखा निचे वंसी वट के,
छोड़ के उनको मथुरा भागा देखा नहीं पलट के,
वारी वारी जाऊँ बलिहारी जाऊँ कृष्णा
लीला तेरी तू जाने वेद ग्रंथ न पहचाने,
मीरा के बने ठाकुर जी राधे के दीवाने हो,
गज के प्राण बचाते हो भक्त वसयल कहलाते हो,
कई रणजीते रणछोड़ भी कहलाते हो,
लेहरी ना जाने क्या भखाने ये ही माने बड़ा चित चोर है कन्हैया तू,
तेरे द्वारे नाथ रहे धन दौलत दुनिया पटके ,
आजा फिर वो तान सुना दे दशन होंगे खटके,
वारी वारी जाऊँ बलिहारी जाऊँ कृष्णा