साई देव दया कर दीनो

साई देव दया कर दीनो कर दीनो तुम महराज,
भुधि हीन इस पतित को कर दीनो भव से पार,
साई देव दया कर दीनो हम आये तेरे द्वार,

मन मंदिर में तोहे वसाउ प्रेम प्रीत की पुष्प चड़ाउ,
स्वास स्वास में तोहे ध्याऊ,
चलती चाकी देख के दिया कभी न रोये,
दो बाटन के बीच में साबुत बचा ना कोई,
चाकी चाकी सब कहे कीली कहे न कोई,
जो कीली से लागे रहे बांका बाग़ न बांका होये,
मन मंदिर में तोहे वसाउ प्रेम प्रीत की पुष्प चड़ाउ
बिना जपे मैं रह नहीं पाउ कर लेना अपना दास,
साई देव दया कर दीनो कर दीनो तुम महराज,
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