कभी मेरे घर भी आओ आके सुख दुःख के बतलाओ,
कुछ सुन लो और सुनाओ बाबा श्याम धनि,
लागि दर्शन की अभिलाषा मेरे मन में बड़ी,
कभी मेरे घर भी आओ आके सुख दुःख के बतलाओ,
मात मोरवी के लाला हो दीं दयालु दाता,
मैंने सुना भक्तो के आंसू देख नहीं तू पाता,
तेरे होते मैं रोऊ ना जागे और न सोउ,
इस ज़िंदगी ने खो रहे चिंता घनी,
लागि दर्शन की अभिलाषा मेरे मन में बड़ी,
कभी मेरे घर भी आओ आके सुख दुःख के बतलाओ,
इस दुनिया को देख देख क्या तू भी रंग बदल गया,
खा खा छप्पन भोग तेरा भी रंग ढंग बदल गया,
मेरे घर रूखी सुखी पावे तू इसी लिए न आवे,
कदे भूखा ही रह जावे खावे सवा मणि,
लागि दर्शन की अभिलाषा मेरे मन में बड़ी,
कभी मेरे घर भी आओ आके सुख दुःख के बतलाओ,
इक बार तू आकर देखो भाव का भोग लगाऊ,
कमी नहीं माखन मिश्री की रज रज तुम्हे खिलाऊ,
करू ऐसी खातिर दारी ना भूले गा धीरधारी,
भावना देविंदर की यारी सँवारे रहे गी बने,
लागि दर्शन की अभिलाषा मेरे मन में बड़ी,
कभी मेरे घर भी आओ आके सुख दुःख के बतलाओ,