मेरा गोपाल गिरधारी ज़माने से निराला है

मेरा गोपाल गिरधारी ज़माने से निराला है।
ना गोरा है ना कला है, वो मोहन मुरली वाला है॥

कभी सपनो में आ जाना, कभी रूपोश हो जाना।
यह तरसाने का मोहन ने निराला ढंग निकाला है॥

कभी वो रूठ जाता है, कभी वो मुस्कुराता है।
इसी दर्शन की खातिर तो बड़ी नाजो से पाला है॥

मज़े से दिल में आ बैठो, मेरे नैनो में बस जाओ।
अरे गोपाल मंदिर यह तुम्हारा देखा भाला है॥

कहीं उखल से बंद जाना, कही ग्वालो के संग आना।
तुम्हारी बाल लीला ने अजब धोखे में डाला है॥
श्रेणी
download bhajan lyrics (2258 downloads)