म्हारी दादी जगत सेठाणी महरो मौज करे परिवार महरी दादी जी,
मांगले वा दादी से जब भी पड़े कोई दरकार,
म्हारी दादी जगत सेठाणी.....
कूट पूत जैसा भी है आखिर दादी का ताबर हा,
किस्मत मैं लिखवा कर लाया माँगन को अधिकार,
म्हारी दादी जगत सेठाणी.........
क्यों न मैं इतरावा महारी दादी जगत सेठानी है,
जी के दरबार माँगन ताई आवो ये संसार ,
म्हारी दादी जगत सेठाणी.....
जब से पडोसी जान गया माहरो जोर पड़े है दादी पे,
रोज कहे है माहने भी मिला दे दादी से इक बार,
म्हारी दादी जगत सेठाणी......
सोनू कवे या दादी ना तो तेरी है न मेरी है,
जगजनी है या तो सारे जग की पालनहार माहरी दादी जी,
म्हारी दादी जगत सेठाणी