तेरे दर पे शीश झुकाया,
जो मांगा माँ तुझसे है पाया मइया जी मैं निहाल हो गया,
मइया मैं माला माल हो गया,
इक माँगा या बार बार माँ,
हर बार मिला मुझे तेरा प्यार माँ,
मुझे रोते को तूने हसाया,
जो मांगा माँ तुझसे है पाया मइया जी मैं निहाल हो गया,
मइया मैं माला माल हो गया,
किया तेरा ध्यान माँ मैंने जब से लिया है समबाल तूने मुझे तब से,
मुझे गिरते को तूने उठाया जो मांगा माँ तुझसे है पाया,
मइया जी मैं निहाल हो गया,
मइया मैं माला माल हो गया,
हर रूप में इक रूप है तेरा ध्या और धुप भी रूप है तेरा,
सावन को ये समजाया जो मांगा माँ तुझसे है पाया मइया जी मैं निहाल हो गया,
मइया मैं माला माल हो गया,