हर बार तेरे दर पे

हर बार तेरे दर पे नव गीत सुनाये गे,.
ढांढन वाली सुन ले तेरी महिमा गाये गे,
हर बार तेरे दर पे.........

तुझसे मिलने से हमे रोको गी भला कैसे,
कदमो में लिपट जाये वृक्षों से लटा जैसे,
सपनो में मीठी माँ को हम सामने पायगे,
हर बार तेरे दर पे.......

हो गी तृष्णा पूरी प्यासी इन अखियन की,
माथे से लगा लेंगे धूलि तेरे चरनन की,
चरणमित लेकर माँ हम भव तर जायगे,
हर बार तेरे दर पे

सदियों से सदा हमने तेरी आस लगाई है,
पागल मनवा कहता माँ तुम को भुलाई है,
पा कर के तेरे दर्शन मन को समजाएगे,
हर बार तेरे दर पे

चुन कर वन उपवन से खुशबू की मधुर लइयाँ,
इक हार बनाया है बीती है कई गड़ियां यह पुष्प भजन मला तुझे भेट चढ़ायेगे,
हर बार तेरे दर पे
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