मेरे कृष्ण कन्हैया रे,
ओह मुरली बजाइयाँ रे,
मेरे भी कुछ सोच लो तुम,
कोई न सहारा है तुझे दिल से पुकारा है,
मेरा भी कुछ सोच लो तुम,
जब से आया जग में बड़े दुखड़े देखे है ,
अब और न सेह पाउ कैसे ये लेखे है.,
कुछ दया मेरे पे भी कर देदे खुशियों का वर,
मेरा भी कुछ सोच लो तुम,
अपनाया किसे ने ना सब ने ठुकराया है,
यह साथ कोई न दे रो रो के सुनिया है,
कैसी दुनिया दारी पड़ रही बड़ी भारी,
मेरा भी कुछ सोच लो तुम,
कैसा मेरा जीवन है कुछ समज न पाया मैं,
मेरे मालिक सुन ले तू तेरे द्वार पे आया मैं,
आ मुझ पे कर्म कमा जसम को भी पार लगा,
मेरा भी कुछ सोच लो तुम,