घर मुड़ आ बालका वे

मैं रोटियां गिन के वे बिशोडा मूल ले बैठी तेरा,
घर मुड़ आ बालका वे कलि दा जी नि लगदा मेरा,

मेथो क्या दा रब पेहचानेया वे ,
तनु लब के चंचल छानेया वे,
ना दुःख रत्नो दा जानिये वे हुन किथे ला लिया डेरा,
घर मुड़ आ बालका वे कलि दा जी नि लगदा मेरा,

मैं देख देख ओह थावा वे जिथे तू चारिया गावा वे,
तेरा लभ दी मैं परछावा वे मेरे दर्द वङाउ केहड़ा,
घर मुड़ आ बालका वे कलि दा जी नि लगदा मेरा,

पुता बिन न बछड़ियाँ मावा वे,
तेरे गम विच न मूक जावा वे,
मैं तेरे तरले पावा वे मैनु दुखा पा लिया गेरा,
घर मुड़ आ बालका वे कलि दा जी नि लगदा मेरा,

मैं भूल के म्हणे मार बैठी,
एवे मैं कर विचार बैठी,
लुह मैं कर हंकार बैठी मेरी ज़िंदगी होइ हनेरा,
घर मुड़ आ बालका वे कलि दा जी नि लगदा मेरा,
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