तेरे पूजन को हनुमान बना मेहंदीपुर धाम,
जग में प्रभल तुम्हारी माया नहीं कोई भेद तुम्हरा पाया,
कर नित भगति प्रेम से ध्यान बना तब मेहंदीपुर का धाम,
तेरे पूजन को हनुमान बना मेहंदीपुर धाम
तू ही जग का कष्ट नशावे तू ही अध्भुत खेल रचावे,
है तू व्यापक सकल जहां बना तब मेहंदीपुर का धाम,
तेरे पूजन को हनुमान बना तब मेहंदीपुर धाम,
भुतादिक् अमित उधार नित अगणित चरित तुम्हारे,
उन्हे करू कहा तक गान बना तब मेहंदीपुर का धाम,
तेरे पूजन को हनुमान बना तब मेहंदीपुर धाम,
सारे जग का दुःख हर लीजिये तब भगति चरणों की दीजिये,
करे दया दीं जन जान बना तब मेहंदीपुर का धाम,
तेरे पूजन को हनुमान बना तब मेहंदीपुर धाम,
तुम बिन जग में नाथ हमारा देखत नहीं कोई सहारा,
यह विनय करे कल्याल बना तब मेहंदीपुर का धाम,
तेरे पूजन को हनुमान बना तब मेहंदीपुर धाम,