तेरी बिगड़ी बनेगी वृन्दावन जाने से

तेरी बिगड़ी बनेगी वृन्दावन जाने से,
वृन्दावन जाने से बरसाना से ।
तकदीर बदल जाती है वृन्दावन जाने से,
तकदीर बदल जाती है बरसाना जाने से ॥

ऊँची अटारी श्री राधा जी का मंदिर है,
जाके जाना बताना प्यारे ओ भी तेरे अंदर है ।
मन हल्का होता है उनको बतलाने से,
तेरी बिगड़ी बनेगी वृन्दावन जाने से ॥

तेरी सारी विपदाएँ टारेगे बिहारी जी,
प्रेम से कहना के मैं हूँ तिहारी जी ।
जादू सा कर देंगे तेरे सन्मुख जाने से,
तेरी बिगड़ी बनेगी वृन्दावन जाने से ॥

सूरदास और कबीर की भी बदली,
रसखान जैसे फ़कीर की भी बदली ।
मदमस्त हुई मीरा गिरिधर गुण गाने से,
तेरी बिगड़ी बनेगी वृन्दावन जाने से ॥

मानो या ना मनो यह तो अपना विचार है,
दास का तो काम राधा नाम प्रचार है ।
‘हरी दासी’ ने पाया गुरुदेव बताने से,
फिर क्या फ़ायदा होगा पीछे पछताने से,
तेरी बिगड़ी बनेगी वृन्दावन जाने से ॥

स्वर अवं कवि : हैप्पी शर्मा (हरी दासी फगवाड़ा)
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