आंख रोती रही पाँव धोती रही,
मेरे साई का हाथ मेरे सिर पे रहा,
चिंता कहे करे काहे दुःख से डरे,
मेरे साई ने मुझसे इतना कहा,
आंख रोती रही.....
आया है तू मेरी शरण में छोड़ के दुनिया छोड़ जग,
थोड़ा सा बस धीरज रख ले छोड़ दे बाकी मुझपर सब ,
धीरज देते रहे साई कहते रहे,
बैठ के चरणों में मैं सुनता रहा,
आंख रोती रही पाँव धोती रही,
मेरे पास तो कुछ भी नही है सब विस्वाश तुम्हारा है,
इस विश्वास पे ही मुझको तो मनाता ये जग सारा है,
मुझपे करले यकीन पास कुछ भी नही,
बस इतना मान ले तू मेरा काहा,
आंख रोती रही.....
मुझपे भरोसा कर के जो भी,
मेरे दर पर आता है,
मेरा दावा है वो प्राणी ख़ाली कभी नही जाता है,
कोई हो तो कहो ऐसे चुप न रहो,
काम किस का नही यहाँ पूरा हुआ,
आंख रोती रही.........