जो भी दरबार गया लौटा नहीं खाली है

मेरे भोले की महिमा जग से निराली है,
जो भी दरबार गया लौटा नहीं खाली है,
हम है बगिया के फूल उस के वही माली है,
जो भी दरबार गया लौटा नहीं खाली है,

दिल से जो याद करे किस्मत स्वर जाती है,
दुभ ती नइयाँ नदियां पार उतर जाती है,
आती है बहार यहाँ उस ने नजर डाली है,
जो भी दरबार गया लौटा नहीं खाली है,

सारे रस्ते जब बंद हो तो शिव का ध्यान करो,
सपने सच होंगे तेरे मन से गुण गान करो,
फुंना आलम भी दर पे आया बन सवाली है,
जो भी दरबार गया लौटा नहीं खाली है,
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