श्याम धनि तू सेठ कहावे आशा लेकर आया हु

सँवारे किसमत का मारा हु खाती नगरी आया हु,
श्याम धनि तू सेठ कहावे आशा लेकर आया हु,

घर से बेघर हुआ सँवारे सुनता न कोई मेरी,
सगे सम्बन्धी हसीं उड़ावे काहे लगाई देरी है,
हारे का इक तू ही सहारा या अरदास लगाता हु,
श्याम धनि तू सेठ कहावे आशा लेकर आया हु,

लखदातार कहाते हो तुम भेट क्या तुम्हे चढ़ाऊंगा,
अंसुवन की जल धरा बहा कर सांवरिया को रिजाऊगा,
नहीं ठिकाना कोई जग में तुम को आज बताता हु,
श्याम धनि तू सेठ कहावे आशा लेकर आया हु,

नहीं दिखाई देता जहां कोई मुझे सहारा है,
तीन बाण का धारी है वो बाबा श्याम हमारा है,
अपने हालत को सँवारे आके तुम्हे सुनाता हु,
श्याम धनि तू सेठ कहावे आशा लेकर आया हु,

एहलवती के राज दुलारे मेरा भी उधार करो,
आया शरण तुम्हारी अमित है मोर छड़ी की किरपा करो,
रो रो कर पुकारे नगर श्यामा ये आवाज लगाता हु,
श्याम धनि तू सेठ कहावे आशा लेकर आया हु,
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