बरसे अमृत धार मैया जी तेरे भवनों पे
गूंजे जय जयकार मैया जी तेरे भवनों पे
श्रद्धा से इक बार जो चलके द्वार तुम्हारे आता है
दुःख संताप मिटे उसके हर रोग दूर हो जाता है
तेरी किरपा से हो उपचार, मैया तेरे भवनों पे
बरसे अमृत धार...
तेरे दर से कोई सवाली खाली हाथ नहीं जाता
जिस पर मेहर करे तू दाती मन चाहा वर पा जाता
तेरी कृपा से मिलता ऐसा प्यार, मैया जी तेरे भवनों पे
बरसे अमृत धार...
कैसे कैसे अजब करिश्मे मैया तुम दिखलाती हो
आती नहीं नज़र खुद फिर भी झोलिया भरती जाती हो
तेरी कृपा से भर जाएँ भण्डार, मैया जी तेरे भवनों पे
बरसे अमृत धार...
सुनके महिमा तेरी दया की ‘दास’ भी दर पे आया है
चरण तेरे धोने को अक्ष आँखों में भर लाया है
तेरी कृपा से हो उद्धार, मैया जी तेरे भवनों पे
बरसे अमृत धार...