ढोली ढोल मचा माँ के नाम का,
आई माँ के जगराते की रात नाचे गे छम छम आज रे
मैया सिंह सवारी पे सझ रही,
पीछे वेरो आगे अंजनी के लाल,
नाचे गे छम छम आज रे
माँ के नाम की चुनरी को ओढ़ के,
माँ के सामने मैं तो सारी रात
नाचे गे छम छम आज रे
मेरी भइयाँ पकड़ ली है माई ने,
अब फ़िक्र की है क्या बात,
नाचे गे छम छम आज रे
केशव छोड़ दे सब कुछ दादी पर,
अब मैया का है सिर पर हाथ,
नाचे गे छम छम आज रे