ये तो कर्म है तेरा के हम जी रहे है,
भगती का जाम रात दिन हम तो पी रहे है,
ये तो कर्म है तेरा के हम जी रहे है,
दुनिया की आंधियो ने गुलशन मेरा उजाड़ा ,
चोखट को तेरी पा कर आराम कर रहे है,
ये तो कर्म है तेरा के हम जी रहे है,
अनमोल धन है पाया अपना तुम्हे बनाया,
अब तेरी ही किरपा से सब काम हो रहे है,
ये तो कर्म है तेरा के हम जी रहे है,
पतवार भी है तेरी मझदार भी है तेरी,
जीवन की नाव ले कर भव पार कर रहे है,
ये तो कर्म है तेरा के हम जी रहे है,