सोने वाले जाग मुसाफिर समय ना कर बरबाद,
निद्रा से उठकर,प्रभुजी को करले तु याद,
गर्व वास मे तुमने प्रभु से कोल किया,
हरि ने तुमको मानव तन अनमोल दिया,
मानव तन अनमोल रतन को,मतकर तु बरबाद
बाल अवस्था खेल कूद मे बीत गई,
आई जवानी तिरिया के संग प्रीत भई,
बुढापे मे रोग सतावे,कोई ना सुने फरियाद
जग की झूठी माया ने,तुझको घेर लिया,
भजन किया नही हरि से मुखङा फेर लिया
झूठी दुनिया दारी से तु ,हो पंछी आजादस
यम का दूत पकङ कर के ले जाएगा,
सदानन्द कहे करणी का फल पायेगा,
अवसर खो दिया भजन करण का,तज्या ना वाद विवाद
रचनाकार:-स्वामी सदानन्द जोधपुर