दे दे वर वीणा वाली तेरी महिमा निराली भाव भगति में दुभा संसार,
ज्ञान का दान देदे मान समान देदे भुधि विद्या का भरदे भंडार,
ओ माँ ओ माँ
अर्पण मन का सुमन करू मैं ज्ञान सितम को भरदे,
दुनिया में मैं सफल कहाऊ जीवन ऐसा करदे,
अपनी ममता लुटादे मेरी किस्मत बना दे सुन के अर्जी न होना इंकार,
ज्ञान का दान देदे मान सामान देदे
भुधि विद्या का भरदे भण्डार
ओ माँ ओ माँ
वन्य करू विश्वाश है मुझको मेरी विपदा हरो गी,
सेवा दार समज के मुझको मुझपे दृष्टि करोगी,
तेरी विनती करुँगी तेरी भगति करुँगी मेरे सपनो को करदे साकार,
ज्ञान का दान देदे मान समान देदे भुधि विद्या का भर दे भंडार,
ओ माँ ओ माँ