जोगी का दरबार सुहाना लगता है

जोगी के दर पे, संगत आ गई है,
उस बालक के, दर्शन पा रही है l
सुन रहे हैं जोगी, सब की फरियादें,
जोगी को संगते, दुखड़े सुना रही है ll

जोगी का दरबार, सुहाना लगता है ll,
माँ रत्नो का लाल, गुफ़ा में सजता है ll
*जोगी के दरबार पे, लगते है मेले l
मेहरों का सागर, वहां पे वगता है,,,
जोगी का दरबार,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

जग रही है ज्योत, गुफ़ा में सजती,
धुख रहा है धूणा यहाँ, की थी भक्ति ll
शाह तलाई स्वर्ग के है, भाग लखती,
कट रही है दुखड़े, चरण गँगा वगती l

सारे बोलो,,,,,, जय बाबे दी xll,
*बोलो,,,,,, जय बोलो** xll,
बोलो xllll बोलो xlll जय बोलो xlll  

सब दुनियाँ का यह, ठिकाना लगता है xll,
माँ रत्नो का लाल, गुफ़ा में सजता है l
*जोगी के दरबार, पे लगते है मेले xll,
मेहरों का सागर, वहाँ पे वगता है,
जोगी का दरबार,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

रोट परशाद लै के, संगत जा रही,
सिंगियाँ वाले नाथ के, दीदार पा रही ll
सुन रहे पुकार, जोगी अपने भक्तों की,
वार वार सब को ही, आवाज आ रही l

सोहनी lll जोगी का, दीवाना लगता है xll,
माँ रत्नो का लाल, गुफ़ा में सजता है,
*जोगी के दरबार, पे लगते है मेले xll,
मेहरों का सागर, वहाँ पे वगता है,
जोगी का दरबार,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
अपलोडर- अनिलरामूर्तिभोपाल
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