कृष्ण कन्हैया अरे ओ गउये चरैया,
बंसी बजैया आजा सामने,
ये जग झूठा है खेल है सपना,
कोई नहीं है कान्हा तेरे बिना अपना,
नाग नथियाँ अरे ओ गउये चरैया,
बंसी बजैया आजा सामने,
तुम्हे ढूंढ़ती है मेरी प्यासी निगाहे,
दर दर भटकती हु भर्ती हु आंखे,
माखन खवैया अरे ओ गउये चरैया,
बंसी बजैया आजा सामने,
सोया हुआ है मेरा भाग जगा दो उजड़ी हुई है मेरी दुनिया वसा दो,
गोवर्धन उठया अरे ओ गउये चरैया,
रहस्य रचिया आजा सामने,
बंसी बजैया आजा सामने,