तो समजो के फागुन तब आने वाला है

लगे जब मिश्री सी कड़वी भी हर बात,
करे दिल नाचन का जब तेरा दिन रात ,
सपनो में आये जब खाटू वाला है,
तो समजो के फागुन तब आने वाला है,

खेत सरसो के लेहलाते है फूल मुराजाये भी मुस्काते है,
तान सुनाई देती मुरली की पंक्षी जब वन में चेह चहाते   है,
केसरियां दिखलाई दे जब ये जग सारा है,
तो समजो के फागुन तब आने वाला है,

मस्तियाँ हद से जयदा बढ़ जाए,
नींद रातो की जब उड़ जाए ,
छोड़ के काम सारी दुनिया के चाव खाटू जाने का चढ़ जाए,
श्याम प्रेम में झूमे जब से दिल मतवाला है,
तो समजो के फागुन तब आने वाला है,

श्याम का जादू सिर पे चढ़ जाए दिल ये दीवाना सोनू हो जाए,
यहाँ भी जाती है नजर अपनी श्याम की सूरत ही नजर आये ,
श्याम नाम जप्ती जब ये सांसो की माला है,
तो समजो के फागुन तब आने वाला है,

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