बिजिली कड़के बादल गरजे,
धरती अम्बर काँपे,
रुदर रूप धरके रन में जब रन चंडी माँ नाचे,
जय काली महाकाली माँ,
जय काली विकराली माँ
रन चंडी माँ असुरो पे सिंह की भाँती गरज पड़ी,
चुन चुन असुरो को मारा मुंडी दध से अलग करी,
लेकर के खपर कडक हाथ में क्रोध से भर्ती हुंकारे,
रुदर रूप धरके रन में जब रन चंडी माँ नाचे,
जय काली महाकाली माँ,
जय काली विकराली माँ
काली खपर वाली का रूप बड़ा ही विकराला,
अग्नि नैनो से बरसे मुह से बरस रही ज्वाला,
चंड मुंड और सुंध निशुन्द जैसे असुरो को माँ काटे,
रुदर रूप धरके रन में जब रन चंडी माँ नाचे,
जय काली महाकाली माँ,
जय काली विकराली माँ
जय हो तेरी काली माँ,जय हो तेरी माँ काली
शत्रु का विनाश करे श्नाघ्त की रखवाली,
शर्मा सरगम शरण पड़े माँ इनपे कर्म थोडा करदे,
रुदर रूप धरके रन में जब रन चंडी माँ नाचे,
जय काली महाकाली माँ,
जय काली विकराली माँ