तेरे दरबार से मैं तेरे सिवा मांगू भी क्या
तुझसे वेहतर तेरे दरबार में और भला रखा भी है क्या,
तेरे दरबार से मैं तेरे सिवा मांगू भी क्या
चाँद तारो की सिफारिश मैं नहीं करती,
धन दौलत की भी गुजारिश मैं नहीं करती,
तू अगर मिल जाए तो साई इनकी जरूरत भी है क्या,
तुझसे वेहतर तेरे दरबार में और भला रखा भी है क्या,
तेरे दरबार से मैं तेरे सिवा मांगू भी क्या
तख़्त और ताज की साई मुझे जरूरत न,
शान और शोहरत की भी साई मुझको चाहत न,
तुम जो नैनो में वसे हो इस से अच्छा भी है क्या,
तुझसे वेहतर तेरे दरबार में और भला रखा भी है क्या,
तेरे दरबार से मैं तेरे सिवा मांगू भी क्या
रोज अपनी यही पे होती मुलाक़ात रहे,
और चाहु नहीं कुछ इतनी मेरी बात रहे ,
सौदा इस से और बेहतर कोई अच्छा भी है क्या ,
तुझसे वेहतर तेरे दरबार में और भला रखा भी है क्या,
तेरे दरबार से मैं तेरे सिवा मांगू भी क्या