आया जो भी कोई फरियादी,
तूने उसकी बिगड़ी बना दी,
साई मैंने भी अर्जी लगा दी,
सैया जब से लगन तेरी लगाई है,
अज़ाब सकूं है अज़ाब सी मस्ती छाई है,
ये इश्क़ तेरा है ऐसा ही करिश्माई है,
रेहमते तूने अपनी सब पे लुटाई है,
आया जो भी कोई फरयादी तूने उसकी बिगड़ी बना दी.....
तेरी भोली सी सूरत दिल में यु समाई है,
फिर कोई मूरत इस दिल को नहीं भाई है,
जिधर भी देखु उधर तेरी परछाई है,
तेरे वायुद से इस जग में गुजारी है,
आया जो भी कोई फरयादी तूने उसकी बिगड़ी बना दी.....
तुझसे मिलने से पहले कितना मैं बेहाल हुआ,
जब से थामा है मैंने तेरा हाथ मैं निहाल हुआ,
अब कभी छोड़ना न हाथ मेरे बाबा तुम,
गया अगर डूभ ववर में तो फिर न पार हुआ,
आया जो भी कोई फरयादी तूने उसकी बिगड़ी बना दी