सुनकर के मईया के चर्चे हज़ार ,
पहुंचा मैं जम्मा के गोरिया दरबार ,
देखा नजारा तो चकरा गया , सोचने लगा मैं कहाँ आ गया ,
लगी ऐसी लगन , हुआ मस्त मगन ,
माँ के दर्शन को दिल मेरा बेचैन हो गया ...जय हो !!
मैं तो भंवरावाली जीण माँ का फैन हो गया - ४
देखी जो माँ की मूरत इक नजर , छाने लगा मुझपे ऐसा असर - २
किरपा मुझपे माँ की होने लगी , सुख दुःख से मैं हो गया बेखबर ,
लगी ऐसी लगन , हुआ मस्त मगन ,
माँ के चरणों से अब ऐसा प्रेम हो गया ...जय हो !!
मैं तो भंवरावाली जीण माँ का फैन हो गया - ४
करता हूँ प्रॉमिस हर नवरात में , लेकर निशान अपने हाँथ में ,
सौरभ मधुकर तेरे मंदिर में माँ , आऊंगा परिवार के साथ में ,
लगी ऐसी लगन , हुआ मस्त मगन ,
हर साल यहाँ आने का प्लान हो गया ...जय हो !!
मैं तो भंवरावाली जीण माँ का फैन हो गया - ४
फैन हो गया रे मैं तो फैन हो गया ,
भंवरावाली जीण माँ का फैन हो गया ।
भजन गायक - सौरभ मधुकर
भजन रचयिता - सौरभ मधुकर