तेरा शुक्र मनाऊ मैं दातिए
हर सांस मेरी किरपा है तेरी तुझे हर पल ध्याऊ मैं
तेरा शुक्र मनाऊ मैं दातिए
इतनी मेरी औकात भी न था तूने दिया है जितना,
जन्मो तक उतरे गा माँ कर्ज तेरा है इतना,
एहसान हजारो है तेरे क्या क्या गिनवाऊ मैं
तेरा शुक्र मनाऊ मैं दातिए
सदके सो सो बार मैं तेरी ममता पे महारानी अपने अंचल से पौंछा मेरी आँखों का पानी,
माँ तूने बस चाहा है हर पल मुश्काउ मैं,
तेरा शुक्र मनाऊ मैं दातिए
अपनी दया का हाथ हमेशा मेरे सिर पर रखना,
लाल तेरा हु खोटा हु माँ न मुझे परखना,
जब तक जीवन ज्योत जले तेरी ज्योत जगाउ मैं
तेरा शुक्र मनाऊ मैं दातिए