वैष्णो माँ की देख छटा

वैष्णो माँ की देख छटा मेरो मन है गयो लटा पटा,
महारानी की देख छटा मेरो मन है गयो लटा पटा,

पर्वत ऊपर भवन सुहाना मैया जी का वाहा ठिकाना,
अरे उडती जो ले जा घटा मेरो मन है गयो लटा पटा,

गरब जून एक गुफा है सुंदर नो महीने रही मैया अन्दर
बहार लांगुर रहा तका मेरो मन है गयो लटा पटा,

लक्ष्मी सरस्वती और काली पिंडी रूप में महिमा निराली,
दर्शन से मन नही हटा मेरो मन है गयो लटा पटा,

अरे आठ बुजा नो सिद्ध रूप है महारानी भूतो की भुत है ,
ब्रह्मा विष्णु ने नाम रटा मेरो मन है गयो लटा पटा,

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