तू तो बड़ा है अन्तर्यामी तुझसे क्या छुपाये,
दूर करो हर देवश भावना प्रेम की ज्योत जलाये,
तू तो बड़ा है अन्तर्यामी तुझसे क्या छुपाये,
सत्ये राह का दामन थामे धर्म के पथ पे चले
जो भी निर्धन दुखी मिले तो थामे हाथ बड़े,
क्या तेरा क्या मेरा है ये भाव कभी भी न आये,
तू तो बड़ा है अन्तर्यामी तुझसे क्या छुपाये,
प्रेम की भाषा हो जीवा पे तो ही तो हम कुछ बोले
कुण्ठ इतना हो मन निशल ये भाव कभी न तोले
वैर कभी न मन में हो न पाप कभी भी न आये,
तू तो बड़ा है अन्तर्यामी तुझसे क्या छुपाये,
भूल से भी भूल अगर हो तो स्वीकार करे हम,
ज्ञान का गागर कितना भरे हो भी स्वीकार हम,
इतना आदर देना मन में कोई भी रूठ न पाए,
तू तो बड़ा है अन्तर्यामी तुझसे क्या छुपाये,