म्हारे सागी म्हारो खाटू वालो श्याम तो म्हाने है फ़िक्र काह की,
माहरे सिर पर सांवरिया रो हाथ तो म्हाने है फ़िक्र काह की,
लीले को असवारी है यो बाबो खाटू वालो,
तीन वान धारी बलकारी है माहरो रखवालो,
म्हारो ध्यान राखे बाबा दिन रात तो म्हाने है फ़िक्र क्या की,
शीश का दानी है दुनिया में लखदातार काहावे,
दीं दुखी और हारियो का हर दम साथ निभावे,
यो तो सदा ही बचावे महारी लाज,
तो म्हाने है फ़िक्र काह की,
मापे जब भी विपदा आवे महारो मन गबरावे,
माहरे सिर पे सवाल अपनी मोर छड़ी लहरावे,
सारो संकट ही कट जावे हाथो हाथ,
तो म्हाने है फ़िक्र काह की,
सोनू ने तो छोड़ दी सारी झूठी दुनिया दारी,
श्याम धनि के हाथ में सौंपी सारी जिम्मेदारी
माहरो पालनहारों तिरलोकी को नाथ,
तो म्हाने है फ़िक्र काह की,