काली घटा उठी घनघोर

काली घटा उठी घनघोर रिम झिम बरसे पानी
राधे चल श्यामा चल राधे चल कुंजन की और,
रिम झिम बरसे पानी
काली घटा उठी घनघोर रिम झिम बरसे पानी

श्री राधे संग प्राणां प्यारी झूलन संग पधारो,
कुंजन की शोभा को राधे रुच रुच जाए निहारो,
थोड़ी करो किरपा की कोर,रिम झिम बरसे पानी
राधे चल श्यामा चल राधे चल कुंजन की और,

शीतल मंद सुगंध हवाएं चल रही धीरे धीरे,
लेहर लेहर के लहरें आ रही यमुना जी के तीरे,
श्री यमुना में उठे हिलोर,रिम झिम बरसे पानी
राधे चल श्यामा चल राधे चल कुंजन की और,

मेहक रही फुलवाड़ी कैसी छाई है हरयाली,
झूम रही है कुञ्ज के माहि लता लता की डाली
बोले कोयल पपीहा मोर रिमझिम बरसे पानी,
राधे चल श्यामा चल राधे चल कुंजन की और,

चलो झूलने माँ रे छोड़ दो मोहन याद आये,
पागल तेरे चरणों में पल पल ही शीश निभाए,
मेरी विनती है कर जोड़ रिम झिम बरसे पानी
राधे चल श्यामा चल राधे चल कुंजन की और,

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