सागर तट पर बेठ अकेले रट ता तेरा नाम,
कब आएगा तू गिरधारी देर हुई घनश्याम
सागर तट पर बेठ अकेला रट ता तेरा नाम,
करता पल पल तेरा वंदन युग युग का प्यासा मेरा मन
भूल हुई क्या मुझसे मोहन तोड़ दिया तुमने मेरा मन,
करले अब सवीकार मुरारी तू मेरा परनाम,
कब आएगा तू गिरधारी देर हुई घनश्याम
सागर तट पर बेठ अकेला रट ता तेरा नाम,
बहुत हुआ ये खेल तमाशा अब तेरे चरणों की आशा,
सुन ने को वेह तान मधुर फिर तरस रहे है कान भी
डर है दर्शन बिन जीवन की ढल न जाए शाम,
कब आएगा तू गिरधारी देर हुई घनश्याम
सागर तट पर बेठ अकेला रट ता तेरा नाम,
चारो और घिरे अंधियारा नाथ ना अपना एक सहारा,
दया दृष्टि प्रभु अपनी करदो,
जो कुछ सेवा का वर दो ,
सुधि पतवार पकड़ खिताने नैया आठो याम,
कब आएगा तू गिरधारी देर हुई घनश्याम
सागर तट पर बेठ अकेला रट ता तेरा नाम,