लीला अद्भुत न्यारी थी जब अवतारी श्री राम हुए
त्रेता युग के कोरव बन कर इश्वर का इक नाम हुए
लीला अद्भुत न्यारी थी जब अवतारी श्री राम हुए
मर्यादा पुर्शोतम थे वो पिता का करते थे समान
वचन वध थे पुत्र रूप में वन की और किया पर्स्थान
चरण पड गए वन में उनके जंगल भी अब धाम हुए
लीला अद्भुत न्यारी थी जब अवतारी श्री राम हुए
अमृत मंथन जैसा ही है इस पृथ्वी पर राम अवतार
राम नाम की इक बूंद से तर जाता सारा संसार
जो मन से ले राम नाम को उस के पुरे काम हुए
लीला अद्भुत न्यारी थी जब अवतारी श्री राम हुए
रावन वध जब किया राम ने दुष्टों का संगार किया
वीर राम के इस पुरुष ने सब का ही उधार किया
इस लीला को पूरी करके द्वापर पे वो श्याम हुए
लीला अद्भुत न्यारी थी जब अवतारी श्री राम हुए