मुह को खोल हनुमत बोल
मानुष जन्म मिला है तुझको मिटटी में न रोल
मुह को खोल हनुमत बोल
शरण में जो उनकी आये तेल सिंदूरी जो लाये
सचे मन से जो ध्याए मन माँगा वर वो पाए
मोह माया को छोड़ के बंदे दिल को जरा टटोल,
मुह को खोल हनुमत बोल
जय जय जय जय श्री राम
जय जय जय जय हनुमान
हाथ जोड़ करनमन करो देंगे भगतो को वरदान
किसी को कुछ केहने से पहले अपने मन को टोल
मुह को खोल हनुमत बोल
तू जल में तू ही थल में तू मिटटी तू उपवन में
तू आकाश के तारो में तू हनुमनता कं कं में
राम भगत की शरण में आजा मत हो डावा डोल
मुह को खोल हनुमत बोल