तू मंदिर में बंद और मैं घर में बंद

तू मंदिर में बंद और मैं घर में बंद
बोल कन्हैया बोल कटेगा कैसे अब ये फंद

किसी से ना सुना हमने नहीं किसी और ने देखा
अचानक दहल गया सब कुछ खींची है नई लक्ष्मण रेखा
कैसे जीतेंगे कान्हा जीवन का ये द्वन्द
बोल कन्हैया बोल कटेगा कैसे अब ये फंद
तू मंदिर में बंद ............

साँझ में कुछ नहीं आता अक्ल भी काम ना करती
कि कल क्या होगा ना जाने सोच के रूह भी डरती
काम धंधो कि रफ़्तार हो गई अब तो मंद
बोल कन्हैया बोल कटेगा कैसे अब ये फंद
तू मंदिर में बंद ............

धीरज छूट रहा अब तो प्रभु आके सम्भालो ना
करो कृपा हे सांवरिया हमें दुःख से निकालो ना
जन्मो पुराण है मोहित अपना ये सम्बन्ध
बोल कन्हैया बोल कटेगा कैसे अब ये फंद
तू मंदिर में बंद ............
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