नहीं होने देता हार जो आता हार के इसके द्वार ये ऐसा संवारा है,
बाँट ता उसको अपना प्यार जो आता वक़्त की खा के मार,
ये ऐसा संवारा है,
देवो में देव निराला है दातार बड़ा मतवाला है,
गिरते को हमेषा संभाला है फसी नाव भवर से निकाला है,
हाथ पे खुद लेकर पतवार ये खुद बन जाता है खेवनहार,
ये ऐसा संवारा है,
नहीं आंसू ये देख पाता है रोती आँखों को हसाता है ,
रिश्तो की डोर बढ़ाता है और मन का मीत बन जाता है,
कर खुशियों का उपहार क्र देता जीवन गुलजार,
ये ऐसा संवारा है,
संगर्ष मी जीना सिखलाये जीने का रस्ता दिखलाये,
बुलो को मेरी ये विसराये हर बात प्यार से समजाये,
है कुंदन सा व्यवहार निभाए यारी बन जे यार,
ये ऐसा संवारा है,