भंग का पिए प्याला ओ मीठा माहदेव शंकर
गले में है सर्प माला ओह मीठा महादेव शंकर,
करते है नंदी की सवारी रास करे पर्वत में,
तीनो लोको के है स्वामी वास है इनका जगत में,
जपे गे तेरी माला ओह मीठा महादेव शंकर,
गले में है सर्प माला ओह मीठा महादेव शंकर,
डम डम डमरू भ्जाये मस्त रहे है सदा ही,
भंगिया भोले नाथ पीये है जटा से गंगा बहाए,
डम डम नाचे डमरू वाला ओह मीठा महादेव शंकर ,
गले में है सर्प माला ओह मीठा महादेव शंकर,